वरिष्ठ पत्रकार रामकुमार टंडन को रिपोर्ट
कवर्धा - सेमरहा कांड में चिता की आग शांत हो गई है। लेकिन राजनेताओं का आनाजाना लगातार हो रहा है, सबने अपने अपने स्तर पर सहयोग की बात कही है। कुछ सरकारी अमला मृत्यु में सहयोग करने की बात को लेकर पीठ थपथपा रहे हैं सच्चाई ये है कि वाहन पलटने से गिरने के बाद ज्यादातर लोगों ने अपनी जान गंवा दिए थे एक दो रास्ते में तो एक दो ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिए हैं, इस घटना के लिए जिम्मेदार वाहन चालक व मालिक तो हैं ही पर विभाग के अफसर कम जिम्मेदार नहीं हैं उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं होना भी अपने आप में सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
पिकअप वाहन के खाई में गिरने से 19 तेंदूपत्ता श्रमिको की जान जाने के बाद से हाईकोर्ट बिलासपुर न्यायालय ने संज्ञान लिया है तब से पुलिस, यातायात, आर.टी.ओ. विभाग सहित अन्य प्रशानिक अमला भी हरकत में आकर मालवाहक गाड़ियों में सवार होकर यात्रियों के लाने लेजाने पर कार्यवाही करने लगे हैं जो इस बात को प्रमाणित कर रहा है कि जिम्मेदारी सरकार को तय कर कार्रवाई करना चाहिए ताकि भविष्य में पुरावृत्ति न हो।यहां सेमरहा ड्यूटी में लगे जवान भी अपनी जान जोखिम में डालकर अपना फर्ज अदा कर रहे हैं। सवाल के जवाब में जवान बताते हैं बंद गाड़ी को मांग तो करते हैं व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरी में ड्यूटी और फर्ज अदा करते हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैज आज 24 मई को पहुंचे पीड़ित परिवार के गांव सेमरहा हालचाल जाना और कहा कि काग्रेस पार्टी मृतकों के परिवार के सुख दुख में साथ खड़ा है राज्य सरकार से मांग करते हैं मृतक के परिजनों ने 20 लाख रुपए आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जावे। मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वाहन चालक और मालिक के ऊपर कार्रवाई करके बच निकलने का प्रयास कर रही है, जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए ताकि भविष्य में किसी और की जान गवानी न पड़े। यहां डबल इंजन की सरकार चल रही है गरीब आदिवासी जो तेंदूपत्ता इक्कठ्ठा करने गए थे मालवाहक पिकअप वाहन में सवार होकर यात्रियों के तरह लाते ले जाते समय दुर्घटना में 19 लोगों की जान गई है अधिकाधिक आर्थिक सहायता पहुंचाया जावे ताकि भविष्य की चिंता से कुछ मदद मिल सके।